मिल्खा सिंह की जीवनी – क्यों कहा जाता था ‘फ्लाइंग सिख’?
मिल्खा सिंह की जीवनी – क्यों कहा जाता था ‘फ्लाइंग सिख’?
Milkha Singh Biography & Success Story in Hindi. मिल्खा सिंह (Milkha Singh) जिन्हें की “Flying Sikh” के नाम से भी जाना जाता है, उन्हें कौन नहीं जानता. मिल्खा सिंह भारत के उन सफलतम track athletes में से एक हैं जिन्होंने की बहुत से छोटे समय से जीवन जीने का मंत्र सीख लिया था. उन्हें बचपन में हुए हादसे ने बहुत कुछ सीखा दिया था, जो की बाद में उन्हें उन बुलंदीयों तक पहुँचने में मदद करी जो की एक समय में उनका सपना हुआ करता था.
लेकिन दुःख की बात यह है की अब मिल्खा जी हमारे बीच नहीं रहे, एक काफ़ी बड़ी लढायी COVID के साथ लढ़ने के बाद उनके इस पार्थिव जीवन का हार हो गया. भले ही उन्हें अपना शरीर छोड़ना पड़ा हो लेकिन उनके द्वारा बनाए गए कीर्तिमान अभी भी हमारे लिए उदाहरण बनकर खड़े हैं. इतना ही नहीं आने वाले समय में भी ये लाखों नव युवकों को उनके तरह बनने के लिए प्रेरित करेंगे.
तो मिल्खा सिंह जी की याद में आज हमने एक ऐसा आर्टिकल लिखा है जो की सामान्य होकर भी उनके असामान्य उपलब्धयों की गाथा गाता है. तो बिना देरी किए चलिए Milka Singh Biography in Hindi के बारे में जानते हैं.
Milkha Singh जो की भारत के पूर्व track और field sprinter रह चुके हैं. उनका जन्म Faisalabad, Pakistan में 20 November 1929 को हुआ था, पाकिस्तान के रेकर्ड के हिसाब से. वहीं लेकिन कुछ दूसरे रिपोर्ट में उनका जन्म 8 October 1935 में हुआ था. वो दौड़ने में इतने तेज थे की उनका नाम The “Flying Sikh” रखा गया था.
वो एकमात्र ऐसे पुरुष athlete थे भारत के जिन्होंने की भारत के लिए individual athletics Gold जीता था Commonwealth Games में. उनका अपने खेल के प्रति समर्पण को नज़र में रखते हुए, Milkha Singh को वर्ष 1959 में Padma Shri से नजवजा गया तत्कालीन राष्ट्रपति के द्वारा. मिल्खा जी की एक अफ़सोश ये रही थी की वो अलिम्पिक में पदक लेते लेते रह गए. Olympic Games 1960 के 400 metres final में उन्हें चतुर्थ स्थान प्राप्त हुआ था.
मिल्खा सिंह जी की व्यक्तिगत जीवन
महान एथलीट का जन्म मुजफ्फरगढ़ (जो अब पाकिस्तान में एक जिला है) से 10 किमी दूर एक गाँव गोविंदपुरा में एक सिख राजपूत परिवार में हुआ था. मिल्खा सिंह की जन्मतिथि पाकिस्तान के अभिलेखों के अनुसार 20 नवंबर 1929 और अन्य आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार 20 नवंबर 1935 है. 12 साल की उम्र में मिल्खा ने एक क्रूर नरसंहार देखा जिसमें उनके माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों ने दम तोड़ दिया. मिल्खा और उसका भाई जान बचाकर भागे.
युवा मिल्खा ने भारतीय सेना में शामिल होने का फैसला किया, जिसके लिए उन्हें इसके लिए चार प्रयास करने पड़े. सेना में अपने अभ्यास सत्रों के दौरान, मिल्खा मीटर गेज ट्रेन के खिलाफ तेजी से दौड़ते थे जिससे उन्हें अपनी गति बढ़ाने में मदद मिलती थी.
मिल्खा सिंह जी का परिवार
Milkha Singh जी की शादी सन 1962 में Nirmal Kaur जी से हुई थी. Nirmal Kaur जी जो की इससे पहले भारतीय Women Volleyball team की कप्तान भी रह चुकी थी. उनके तीन बच्चे हैं जिनमें एक लड़का Jeev Milkha Singh और दो लड़की Sonia Sanwalka और Mona Milkha Singh हैं. उनका बेटा Jeev Milkha Singh, एक प्रसिद्ध top-ranking international professional golfer है.
मिल्खा सिंह जी का जीवन-यात्रा
मिल्खा सिंह ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की, लेकिन तीन बार खारिज कर दिया गया. वह अंततः 1952 में सेना की इलेक्ट्रिकल मैकेनिकल इंजीनियरिंग शाखा में शामिल होने में सक्षम थे. एक बार सशस्त्र बलों में, उनके कोच हवलदार गुरदेव सिंह ने उन्हें प्रेरित किया.
उन्होंने अपने अभ्यास पर बहुत मेहनत की. वह 1956 में पटियाला में राष्ट्रीय खेलों के दौरान सुर्खियों में आए. 1958 में, उन्होंने कटक में राष्ट्रीय खेलों में 200 मीटर और 400 मीटर के रिकॉर्ड को तोड़ा.
उनका सबसे बड़ा और शायद सबसे दुखद क्षण तब आया जब वह रोम में 1960 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में एक फोटो फिनिश में चौथे स्थान पर रहे. उन्होंने टोक्यो में 1964 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भी देश का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने १९६० के रोम ओलंपिक में ओलंपिक ४०० मीटर का रिकॉर्ड बनाया, इसके अलावा १९५८ में राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक, १९५८ में एशियाई खेलों (२०० मीटर और ४०० मीटर श्रेणियों में) और १९६२ में एशियाई खेलों (२०० मीटर वर्ग में) में स्वर्ण पदक जीता.
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Akhilesh Pal
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