राम से बड़ा ‘राम’ का नाम .... प्रभु के इस ‘महामंत्र’ के जाप से दूर होगी हर विपत्ती
राम से बड़ा ‘राम’ का नाम .... प्रभु के इस ‘महामंत्र’ के जाप से दूर होगी हर विपत्ती
श्रीराम का नाम
श्रीराम के नाम के भीतर जीवन का शाश्वत सत्य छिपा है...जीवन की रूपरेखा, जीवन का सार... सब ‘राम’ ही हैं। इसलिए जो व्यक्ति राम की शरण में चला जाता है वहीं प्रभु उसकी तमाम परेशानियों को स्वयं हर लेते हैं। और जिसे राम का साथ नहीं मिलता वह व्यक्ति कहीं का नहीं रहता....
रामायण
रामायण के एक प्रसंग के अनुसार जब लंका पहुंचने के लिए सेतु बांधा जा रहा था तब वानर सेना सेतु के हर पत्थर पर राम लिखने के बाद ही उसे बांध रही थी। यह देख प्रभु राम ने सोचा कि क्यों ना मैं ही पत्थर बांध दूं... पथर को नदी में तैरा दूं...। उन्होंने जैसे ही एक पत्थर पानी एमं फेंका वह डूब गया।
प्रसंग
वह बेहद परेशान हुए... उन्हें परेशान देख उनके सेवक और परम भक्त हनुमान जी उनके पास आए और इस परेशानी का कारण पूछा। तब श्रीराम ने उन्हें बताया कि तुम लोग मेरा नाम लिखकर पत्थर को पानी में फेंक रहे हों और वह तैर रहा है... जब मैं खुद पत्थर फेंकता हूं तो वह पत्थर डूब जाता है!! हनुमान जी हंसे और बोले... जिसे राम ने ही छोड़ दिया वह भला कैसे तर सकता है.... !!
विपत्तियों का नाश
जीवन में सफल और विपत्तियों का नाश करने के लिए हिन्दू धर्म में मंत्र जाप का विधान है। लेकिन जीवन मंत व्यवस्तता के चलते बहुत से लोग इन मंत्रों का जाप कर नहीं पाते। ऐसे में प्रभु राम को समर्पित मंत्र, जिसे ‘महामंत्र’, कहा जाता है आपके बेहद काम आ सकता है।
महामंत्र
श्री राम जय राम जय जय राम” मंत्र आपने कई बार सुना होगा और भजन आदि के समय इसका जाप भी किया होगा लेकिन आपको इस मंत्र की शक्ति का अंदाजा शायद नहीं होगा। इस मंत्र में इतनी शक्ति है कि यह आपको बड़ी से बड़ी दुविधा से भी निकाल सकती है। बशर्ते आप इसका उच्चारण सही तरीके से करें।
सबसे बड़ी खासियत
इस मंत्र की सबसे बड़ी बात यह है कि इसके उच्चारण या कहें जाप करने के लिए किसी नियम का पालन करने की आवश्यकता नहीं है। इस मंत्र को आप दिन के किसी भी समय, कहीं भी हों, किसे भी स्थिति में जाप कर सकते हैं।
राम मंत्र
इसमें ‘श्री’, ‘राम’ और ‘जय’ तीन शब्दों का एक खास क्रम में दोहराव है.... इसमें ‘श्री’ का अर्थ लक्ष्मी स्वरूपा ‘सीता’ से है, वहीं राम शब्द में ‘रा’ का तात्पर्य ‘अग्नि’ से और ‘म’ का तात्पर्य ‘जल तत्व’ से है। ‘अग्नि’ जो ‘दाह’ करने वाला है तथा संपूर्ण दुष्कर्मों का नाश करती है। जल को जीवन माना जाता है, इसलिए इस मंत्र में ‘म’ से तात्पर्य जीवत्मा से है।
मंत्र का संपूर्ण अर्थ
इसलिए इस मंत्र का संपूर्ण अर्थ यह है कि वह शक्ति जो संपूर्ण दूषित कर्मों का नाश करते हुए जीवन का वरण करती हो या आत्मा पर विजय प्राप्त करती हो। इसलिए जो कोई भी इस मंत्र का नियमित रूप से जाप करता है वह जहां अचानक आने वाली परेशानियों से बचा रहता है, जीवन की कोई भी मुश्किल उसकी राह में बाधा नहीं बनती। ऐसा व्यक्ति जीवन की अप्रत्याशित विपदाओं से बचा रहता है।
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Akhilesh Pal
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